इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? क्योकि तुम्हारे तथाकथित धर्म या सम्प्रदाय में कुछ तो कमी है की जिसके कारण पूरी
एक ने पूछा कहता है परमात्मा मुक्ति क्या है ? क्या तुम जो कहते हो कि सारे धर्मों को छोड़
धर्म वस्त्र नहीं आत्मा बदलने का नाम है ईश्वर कण-कण में है, सावन में शिव की पूजा करने से पहले
एक ने प्रश्न किया कि परमात्मा तुम कहते हो कि तुम्हारा ये तथाकथित (What is Dharm)धर्म हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
एक व्यक्ति पूछता है कि परमात्मा तुम क्या सिखाने का प्रयास करते हो. तुम क्या समझाना चाह रहे हो या
https://www.youtube.com/embed/fqQ7Nj6e39w धर्म क्या है? धर्म एक तेज धार तलवार है, जिस पर लाखों कट चुके हैं और लाखों कटने को
परमात्मा तुम किन शास्त्रों में से पढ़कर बोल रहे हो. मैं किसी भी शास्त्र का उपयोग नहीं करता हूं. और
“धर्म या अहंकार” “आओ अब तो धर्म कोई ऐसा बनाया जाये। जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाये !!” सारी दुनिया
एक ने पूछा परमात्मा धर्म का लोप क्यों हो रहा है ? धर्म की हानि क्यों हो रही है ?
हर व्यक्ति धार्मिक होना चाहता है इसीलिए वो मंदिर मस्जिद गिरजे गुरुद्वारे और अपने अपने धर्म स्थलों पर जाता है
जब से तुमने धर्म को स्कूल में पढ़ाना चालू कर दिया है तब से धर्म की खोज ही समाप्त हो
तुम्हें पता ही नहीं मोक्ष का मतलब क्या है , तुम्हें कुछ भी समझ नहीं है। केवल
शब्दों से भरमाये हुए हो तुम सभी।
Jagannath Rath Yatra 2022 : भगवान जगन्नाथ की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि वे हिंदू देवता भगवान विष्णु
एक ने प्रश्न किया कि क्या आप एक और धर्म की दुकान (Dhram ki Dukan) खोलने का प्रयास कर रहे
आजा लोट के आजा मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते है।”लौटना कभी आसान नहीं होता।”एक मशहूर कहानी आपने पहले भी
एक ने पूछा कि परमात्मा तुम किन शास्त्रों में से पढ़कर बोल रहे हो. मैं किसी तुम्हारे शास्त्र से नहीं
मुक्ति क्या है बंधन क्या है? तुम जिस मुक्ति की बात करते हो उसे खोजने से पहले ये देखो की
एक व्यक्ति पूछता है परमात्मा ये बताओ वास्तव में धर्म कौन सा उत्तम है ? यह धर्म कहते किसे हैं
हम जन्म-मृत्यु के चक्र से कब छूटेंगे ?, कब इस आवागमन से
छुटकारा होगा ?, कब हमें शाश्वत जीवन मिलेगा ?,
एक व्यक्ति आया और वह पूछता है कि परमात्मा मैं कौन सी सिद्धी करूं जिसमें सिद्ध (Bageshwar Dham) हो जाऊं…जिससे
परमात्मा के दर्शन कभी नहीं होते परमात्मा के दर्शन कभी नहीं होते क्योंकि उसके दर्शन होने का तो तात्पर्य होता