जीवन का सच्चा अर्थ क्या बन जाता है, पाखंड? - पाखंड (Pakhand) वह है जिसका स्वयं का अनुभव नहीं हुआ है। जीवन का सच्चा अर्थ स्वयं को पहचानना और उसका
https://www.youtube.com/embed/fqQ7Nj6e39w धर्म क्या है? धर्म एक तेज धार तलवार है, जिस पर लाखों कट चुके हैं और लाखों कटने को तैयार हैं। यह धर्म नहीं है, ना हिंदू होना, ना
भारत धर्म गुरू है. विश्व गुरू (Vishwa Guru) है फिर भी यहां अशांति क्यों है. भारत में उपद्रव और हिंसा क्यों है. मुझे लगता है कि भारत अपने लिए भी
एक ने प्रश्न किया कि तुम कहते हो कि धर्म नहीं होता तो दुनिया सुंदर होती. सभी धर्मां के शास्त्र नहीं होते तो दुनिया सुंदर होती. मेरी बात नहीं माननी
एक व्यक्ति पूछता है कि परमात्मा तुम क्या सिखाने का प्रयास करते हो. तुम क्या समझाना चाह रहे हो या तुम दुनिया को क्या बनाना चाह रहे हो. मैं दुनिया
जीवन लाखों लोगों में से एक को प्राप्त होता है. ये कोई आसमान से नहीं टपकता बल्कि धक्के खाकर मिलता है. जैसे मुझे मिला है. मुझे ये 52 वर्ष की
एक ने पूछा कि क्या धार्मिक होना या अध्यात्मिक (धार्मिक और आध्यात्मिक) होना आवश्यक है. हम क्यों हिंदू हों या क्यों मुसलमान, क्यों सिख, क्यों ईसाई जैन या बौद्ध…मैं वर्तमान
एक ने पूछा कि परमात्मा तुम किन शास्त्रों में से पढ़कर बोल रहे हो. मैं किसी तुम्हारे शास्त्र से नहीं बोल रहा हूं. और ना मैं किसी शास्त्र की व्याख्या
एक ने पूछा कहता है परमात्मा प्रज्ञा जागृत होने पर जो रुपांतरण (Meaning of Rupantaran)होता है. बुधत्व के घटने पर जो मनुष्य में रुपांतरण होता है. वो क्या होता है.
एक ने प्रश्न किया कि परमात्मा तुम कहते हो कि तुम्हारा ये तथाकथित (What is Dharm)धर्म हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध ना हो तो समाज सुंदर हो जाएगा. कैसे
बागेश्वर धाम वाले के (Bageshwar Dham Baba)यहां सारे साधु संत जा रहे हैं. चाहे कोईं राजेंद्र दास हो या रमादास…किसी ने पूछा क्यों जा रहे हैं…मैंने कहा कि वे धन्यवाद
एक ने प्रश्न किया कि क्या आप एक और धर्म की दुकान (Dhram ki Dukan) खोलने का प्रयास कर रहे हैं ? अगर तुम्हारे महात्माओं से यह प्रश्न किया जाए
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