यंहा अनाड़ी ही धर्म ध्वजा सँभालने का दावा करते है। इससे ज्यादा क्या नीचे गिरोगे तुम जंहा तुम्हे जागा हुआ
बार-बार तुम्हारे प्रश्न…एक ही बात को तुम कई बार पूछते हो. मुक्ति कैसे संभव है. मोक्ष कैसे संभव है. मुक्ति
हर व्यक्ति धार्मिक होना चाहता है इसीलिए वो मंदिर मस्जिद गिरजे गुरुद्वारे और अपने अपने धर्म स्थलों पर जाता है
इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? क्योकि तुम्हारे तथाकथित धर्म या सम्प्रदाय में कुछ तो कमी है की जिसके कारण पूरी
मुख्य प्रश्न ? यह प्रश्न आमतौर पर उन विचारों और कथाओं से जुड़ा होता है, जो कुछ विशेष संस्कृतियों या
एक ने पूछा कि परमात्मा तुम किन शास्त्रों में से पढ़कर बोल रहे हो. मैं किसी तुम्हारे शास्त्र से नहीं
एक ने पूछा कहता है परमात्मा मुक्ति क्या है ? क्या तुम जो कहते हो कि सारे धर्मों को छोड़
किसी ने पूछा परमात्मा संसार में दुख क्यों है ? कोई हिंदू है, कोई मुसलमान, कोई सिख, कोई ईसाई लेकिन
हम जन्म-मृत्यु के चक्र से कब छूटेंगे ?, कब इस आवागमन से
छुटकारा होगा ?, कब हमें शाश्वत जीवन मिलेगा ?,
जीवन लाखों लोगों में से एक को प्राप्त होता है. ये कोई आसमान से नहीं टपकता बल्कि धक्के खाकर मिलता
“धर्म या अहंकार” “आओ अब तो धर्म कोई ऐसा बनाया जाये। जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाये !!” सारी दुनिया
परमात्मा ने कहा कि जन्म से आजतक तुम्हें कुछ और ही समझाया गया है. मैं जो बातें बोल रहा हूं,
जब से तुमने धर्म को स्कूल में पढ़ाना चालू कर दिया है तब से धर्म की खोज ही समाप्त हो
कोई उपाए काम नहीं आएगा। अंत में तुम्हारा बोध ही काम आएगा। उपाय क्या है तुम उपाय क्यों करते हो।
यदि आप गूगल सर्च में केवल सावन लिखोगे तो आपको सावन में शिव की पूजा...सावन सोमवारी (sawan somwar) कब है
धर्म वस्त्र नहीं आत्मा बदलने का नाम है ईश्वर कण-कण में है, सावन में शिव की पूजा करने से पहले
तुम यहाँ क्यों आये हो जीवन क्या है? तुम लोग समझते हो हम लोग पैदा हुए मर जायँगे। बस यही
एक ही सवाल…बार-बार भिन्न-भिन्न धर्मों के लोग आकर पूछते हैं (What is Dhram). परमात्मा समाज में हिंसा क्यों बढ़ रही
धर्म जंगलो में भागने से नहीं मिलता तुम्हारा महात्मा तुम्हे हमेशा से ही गुमराह करता आया है तुमने देखा आज
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के घेरो से बाहर निकलो। धर्म हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं घेरे है। धर्म को
“धर्म प्राप्ति के उपाए” आज संसार मे जितने उपद्रव तुम धर्म कि नाम पर कर रहे हो उतने शायद ही