fbpx

Jagateraho

अज्ञान तो मारता है ज्ञान ज्यादा मारता हैं !

अज्ञान तो मारता है ज्ञान ज्यादा मारता हैं !

परमात्मा ने इतनी सुन्दर सृष्टि बनाई, नदिया बनाई, पेड़ पौधे बनाये, पक्षी बनाये, तुमहारे लिए पूरे परिवार की व्यवस्ता हुई तुम्हे सुखी करने के लिए ! अगर तुम्हे दुखी ही करना होता तो परमात्मा तुम्हे मुर्ख बनाता! लेकिन तुमहारे धर्मगुरुओ ने तुम्हे इसके विपरीत शिक्षा दी कि तुम बंधन में हो तुम नर्क वासी हो

क्या गंगा में डुपकी लगाने से तुम्हारे सारे पाप धूल जायेंगे ? नहीं क्योकि गंगा तो तुम्हे तन को ही धो सकती है। और पाप तो तुम मन से करते हो पाप करने में तो तुम अपनी आत्मा को भी लगा देते हो। और लगा क्या देते हो तुम अपनी आत्मा को ही बेच देते हो। वो क्यों क्योकि तुम मूर्छा में हो और मूर्छा ग्रस्त मनुष्य कैसे समझ पायेगा अपनी आत्मा की आवाज। तुम सोचते हो गीता, क़ुरान, बाईबल ग्रन्थ पढ़ लिए और तुम धार्मिक हो गए? नहीं गीता, क़ुरान, बाईबल आदि पढ़कर कोई भी धार्मिक नहीं हो सकता धार्मिक होने के लिए तो ग्रंथो को रटना नहीं जागना जरुरी है। गीता, क़ुरान, बाईबल पढ़ने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता अगर इन्ही धर्मग्रंथो को जीवन में उतारो तो देखना क्रांति घटेगी।

ध्यान दो धर्म हमेशा व्यक्तिगत होता है धर्म कभी भी किताबो से नहीं आता अगर पुस्तकों से धर्म आता तो जिन महापुरुषों के मै नाम लेता हूँ बुद्ध, मोहम्मद, नानक, जीसस को पुस्तकों से मिलता इन सबको धर्म अपने जीवन से मिला सिर्फ बोध का जागरण होना ही तुम्हरे लिए धार्मिक होना हैं ! तुम अपने पुराने तथाकथित ज्ञान को छोड़ दो वो तुमहारे किसी काम नहीं आएगा वो ज्ञान नहीं अज्ञान हैं तुमने पढ़ा होगा उपनिषेदो में अज्ञानी तो फसता ही हैं ज्ञानी भी फसता हैं अज्ञान तो मारता ही हैं ज्ञान उससे ज्यादा मारता हैं

तुमने देखा होगा हमेशा तैराक ही डूबता हैं क्योकि उसे लगता है मैं तो तेर सकता हूँ इसी तैरने के अहंकार में वो गहरे से गहरा उतरता जाता हे और ऊपर नहीं आ पाता हैं वैसे ही ज्ञान और ज्ञानी उसी अहंकार में डूब जाता हैं इसका मतलब ये नहीं हैं के ज्ञानी होना गलत हैं ज्ञान का अहंकार होना गलत हैं तुम्हे बस इतना करना हैं की घर बैठो मुझे सुनो ध्यान करो और परमात्मा ने जो जीवन दिया हैं उसका आनंद लो ।

इसलिए मैं कहता हूँ अभी भी समय है जागो! आंख खोलो देखो तुम कहा भागे जा रहे हो! देखो धर्म के नाम पर तुम क्या क्या पाखण्ड कर रहे हो।

ध्यान करो! जागो! जागते रहो!

परमात्मा

Scroll to Top