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Jagateraho

धर्म की शिक्षा क्या स्कूल में पढ़ाई जा सकती है?

जब से तुमने धर्म को स्कूल में पढ़ाना चालू कर दिया है तब से धर्म की खोज ही समाप्त हो गई है कयोकि तुममे से हर कोई जानता है की उसे तो धर्म के बारे में पता है बस यही धारणा तुम्हारी में तोडना चाहता हूँ।जिस दिन तुम ये धारणा छोड़ दोगे उसी दिन तुम्हारे भीतर एक क्रांति का उदय होगा उसी दिन तुम्हारे भीतर सत्य धर्म की खोज आरम्भ होगी। तुम जब तक ये मानते रहोगे की तुम जानते हो तब तक तुम कुछ भी नहीं जान सकोगे।

तुम्हारे तथकथित धर्म गुरु जिन्होंने शास्त्र रटे होते हे तोते की तरह उन्हे भी केवल काले अक्षरों का ही ज्ञान है तुमने सुना है न कला अक्षर भैस बराबर। या भैंस के सामने बीन बजाना। जब तुम्हारे पंडित पुरोहित के सामने शास्त्रों की बीन बज रही है और उन्हें कुछ भी नहीं समझ आ रहा है तो वो तुम्हे क्या सम्झाएगे और तुम क्या समझोगे

धर्म स्कूल में पढ़ाया नहीं जाता धर्म तो जिया जाता है। जब तुम धयान में बैठोगे तो तुम उस धर्म को जान पाओगे अन्यथा पूरा जीवन राम राम करते ही बीत जायेगा और न तो राम मिलेंगे और न ही शांति मिल पाएगी और मन के उपद्रव भी चालू रहेंगे। अंत में इतना ही अगर तुम धर्म को जानना चाहते हो तो ध्यान करो और स्वयं के भीतर जाओ। और जिस क्षण तुम जागोगे उसी क्षण तुम्हे शाश्वत धर्म का अनुभव होगा। अन्यथा जपते रहो अंगुलिया घिसते रहो सिजदा अदा करते रहो और पूरा जीवन मन में कुंठा लेकर बैठे रहो। तुम्हारे धर्म गुरु तो चाहते ही ये है कि सभी सोते रहे और उनकी दुकान हमेशा हमेशा की तरह शांति से चलती रहे। इसलिए मैं कहता हूँ अभी भी समय है जागो! आंख खोलो देखो तुम कहा भागे जा रहे हो! देखो धर्म के नाम पर तुम क्या क्या पाखण्ड कर रहे हो। ध्यान करो! जागो! जागते रहो!

परमात्मा

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