परमात्मा ने कहा कि जन्म से आजतक तुम्हें कुछ और ही समझाया गया है. मैं जो बातें बोल रहा हूं, शायद तुम्हें आज समझ में ना आये. उम्मीद है कि आएगी भी नहीं. मेरे मरने के बाद करीब 500 वर्षों के बाद मनुष्य इसे समझेगा. यदि दुनिया के लोगों को सुखी रहना है तो उसे इस धार्मिक और सांसारिक…विश्वव्यापी मूर्खताओं से ऊपर उठना ही होगा. अगर तुम्हें आज सुखी रहना है तो आज उठो (Attachment from the Body)…वरना हजारों वर्ष बाद उठ जाना. तब तक इतनों की बली चढ़ी धर्म के नाम पर…इतने सिर कटे. किसी ने दूसरों के काटे. किसी ने स्वंय के काटवाए. औरों के कट जाएंगे. कुछ भी तो फर्क नहीं पड़ेगा.
धर्म एक ऐसी तेज तलवार
धर्म एक ऐसी तेज तलवार है जिसपर लाखों कट गये और लाखों कटने को तैयार हैं. लेकिन तुम समझोगे कैसे. जो जो पक जाते हैं. वही धर्म से ऊपर उठ जाते हैं. जैसे फल पकने के बाद वृक्ष को खुद त्याग देता है. लेकिन बिना पके यदि उसे वृक्ष से हटा दोगे…तोड़ोगे तो फल को भी कष्ट होगा और वृक्ष को भी कष्ट होगा. उसी प्रकार जो जो पके वो वो छूट गये. तुम्हारे तथाकथित धर्मों से…बुद्ध छूटे, महावीर छूटे…मोहम्मद और जीसस भी छूटे….नानक और कबीर भी छूटे…अनेकों ऐसे मिलेंगे जो पक गये. इसी जीवन में पक गये और वो वृक्ष को छोड़कर ऊपर उठ गये. लेकिन जो कच्चे हैं वो चिपके रहते हैं.
जो जो पके हैं वो मेरी बात को आसानी से समझ लेंगे (Attachment from the Body)
बिल्कुल कच्चे नारियल की तरह…तुमने देखे होंगे…कच्चा नारियल वो खोल के साथ चिपका रहता है. जबकि पक्का नारियल स्वंय ही खोल को छोड़कर अलग हो जाता है. उसी प्रकार जो जो पके हों. वो मेरी बात को आसानी से समझ सकेंगे. और वो इन तथाकथित धर्मों से और मुझसे भी अलग हो सकेंगे. और जो कच्चे हैं वो अभी नहीं तो कभी नहीं…किसी और जन्म में पकने की तैयारी करेंगे.
बीच वाला जो नारियल था वो कहां से बना…नारियल और खोल…एक ही तो थे (Attachment from the Body). इनका मूल स्त्रोत भी एक ही था. परमात्मा ने परमात्मा तत्व से ही संसार बसाया. संसार और परमात्मा एक ही है. मैं केवल बीच में से सिर उठाकर खड़ा हो गया. और जैसे ही तुम इस ज्ञान को समझ लेते हो…वहां मैं गिर जाता है. और मैं के गिरते ही तू भी गिर जाता है.