मोक्ष !
बार-बार तुम लोग आते हो प्रश्न पूछते हो कि तुम्हें मोक्ष कैसे मिलेगा किस चीज से मोक्ष चाहते हो तुम ?
तुम कहते हो जन्म मृत्यु से।
इस बार बार आवागमन के चक्र से , मां के गर्भ में आने से।
तुम कहते हो इससे मोक्ष चाहिए। तुम्हें पता ही नहीं मोक्ष का मतलब क्या है , तुम्हें कुछ भी समझ नहीं है। केवल
शब्दों से भरमाये हुए हो तुम सभी। शब्दों से ही तुम बंधे हो और शब्दों से ही तुम्हें मुक्त होना है और कुछ भी तो नहीं
है।
मोक्ष !
मोक्ष नामक कहीं कोई ग्रह उपलब्ध नहीं है। मेरी बातें शायद तुम्हें आज समझ नहीं आएंगी। आज से सैकड़ों वर्ष पहले
तुम सभी मानते थे कि जो स्वर्ग है वो चंद्रमा पर है , चंद्रमा के ऊपर स्वर्ग बसा हुआ है वहां पर जो है देवी देवता रहते हैं
,वहां पर रोशनी की भी आवश्यकता नहीं होती।
वह नित्य चमकता रहता है तुम्हें यहां से चमकता नजर आता है न ?
कई धर्म में भी लोग यही मानते थे वह तो आज तक मानते हैं। जब उन्हें कहा जाता है कि चंद्रमा पर तो मनुष्य उतर
गया है वहां स्वर्ग नहीं है तो वह कहते हैं कि मनुष्य जहां होता है वह दूसरे हिस्से पर उतरे है वरना स्वागत तो चंद्रमा
पर ही है।
मोक्ष !
मोक्ष का तात्पर्य तो केवल इतना ही है की तुम जंहा पर हो मोक्ष को ही उपलब्ध हो। और इसके अलावा कोई और
मोक्ष नहीं है।
ये जो तुम्हे मूढ़ता की बाते रटा दी गई है वो ही सारी अड़चन है।
बुद्ध तुम्हे ये ही समझाते है कि तुम पुराणी सारी मूढ़ता पूर्वक धारणाओ को छोड़ दो तो तुम आज ही मोक्ष का अनुभव
कर लोगे।