जीवन का सच्चा अर्थ
क्या बन जाता है, पाखंड? – पाखंड (Pakhand) वह है जिसका स्वयं का अनुभव नहीं हुआ है। जीवन का सच्चा अर्थ स्वयं को पहचानना और उसका आनंद लेना है। जब कोई व्यक्ति स्वयं के जीवन को समझ जाता है, तो उसे अपने जीवन की महत्ता का भान होता है। वह समझ जाता है कि उसके भीतर कितनी बड़ी संपदा छिपी है। इस प्रकार, वह अपने जीवन को मूल्यवान मानता है और दूसरों के जीवन को भी। वह गाय को भी पूजनीय मानता है और कुत्ते को भी, क्योंकि वह समझ जाता है कि जीवन ही परमात्मा है, वही खुदा है जो सभी को महका रहा है।
धर्म का सच्चा अर्थ
धर्म का सच्चा अर्थ स्वयं की खोज करना है, न कि हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई होना। जब कोई व्यक्ति स्वयं के जीवन को पहचान जाता है, तो वह समझ जाता है कि वह हिंदू होकर भी अल्लाह के प्रेम में पागल हो जाता है, और मुस्लमान होकर भी हिंदू के भगवान के गुणगान करते नहीं थकता। ये सारी प्रेम की बातें दबा दी गई हैं उन ठगों द्वारा, जिनका काम धार्मिक वेशभूषा पहनकर लोगों को धर्म के नाम पर लड़वाना मात्र है, जिसमें उनका निजी स्वार्थ है।
पाखंड (Pakhand) क्या है?
पाखंड वह है जिसका स्वयं का अनुभव नहीं हुआ है। जब कोई व्यक्ति किसी के कहने पर कोई कार्य करता है, जिसका उसने स्वयं अनुभव नहीं किया है, तो वह पाखंड है। चाहे वह हिंदू का पाखंड हो या मुसलमान का, सिख का या ईसाई का, बौद्ध का या जैन का। जब प्रेम तुम्हारे हृदय से उपजता है, तब वह सत्य है, और जब तुम प्रेम को फिल्मों या नाटकों में देखते हो, तो वह पाखंड है।
स्वयं का अनुभव
जिसने स्वयं का अनुभव कर लिया है, वह वृक्ष का फल तोड़कर भी खाएगा, क्योंकि उसके लिए वह धर्म, पुण्य है। लेकिन जिसने स्वयं का अनुभव नहीं किया, वह वृक्ष लगाएगा तो भी पाखंडी करेगा, क्योंकि उसका कोई निज का अनुभव नहीं है।
किसी के कहने पर करना
जैसे कि किसी ने कहा कि घर में तुलसी लगा दो, या किसी ने कहा कि पीपल लगा दो, या किसी ने कहा कि यह पौधा लगा दो। जिसका निज का अनुभव हो गया, वह धर्म, वह सत्य करेगा। लेकिन जिसका निज का अनुभव नहीं हुआ, वह सभी पाखंड करेगा।
धर्म के नाम पर ठगी
समाज में कई ऐसे ठग हैं, जो धार्मिक वेशभूषा पहनकर लोगों को धर्म के नाम पर ठगते हैं। वे लोगों को भूत-प्रेत के नाम से, नरक और जोजफ के भय का डर दिखाकर भीख मांगते हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों का धन हड़पना है। ये ठग धर्म के नाम पर राजनेता बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन जिसने उस परमात्मा के प्रेम के दो घूंट भर लिए हैं, वह कहता है कि मेरे पास आकर क्या करोगे, तुम बस अपनी आंखें खोलो और अपने जीवन को पहचानो और भागो।
समाज को जागरूक करना
इस चैनल का उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को आहत करना नहीं है, बल्कि समाज को जागरूक करना है। समाज में कई ऐसे ठग हैं, जो धार्मिक वेशभूषा पहनकर लोगों को ठगते हैं। इस चैनल के वक्ता भी एक ऐसे ही तांत्रिक द्वारा ठगे गए थे, जिससे उन्हें भी लाखों रुपये गंवाने पड़े थे। अब वे इस बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप सभी भी सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें, पढ़े-लिखे और अच्छे नागरिक बनें।
निष्कर्ष
जीवन का सच्चा अर्थ स्वयं को पहचानना और उसका आनंद लेना है। धर्म का सच्चा अर्थ स्वयं की खोज करना है, न कि किसी धर्म में शामिल होना। पाखंड वह है जिसका स्वयं का अनुभव नहीं हुआ है, और जिसे किसी के कहने पर किया जाता है। समाज में कई ऐसे ठग हैं, जो धार्मिक वेशभूषा पहनकर लोगों को ठगते हैं। इस चैनल का उद्देश्य इन ठगों से लोगों को जागरूक करना है, ताकि वे सुरक्षित, स्वस्थ और अच्छे नागरिक बन सकें।
क्या बन जाता है, पाखंड? (Kya Ban Jata Hain Pakhand)
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