एक ने पूछा कि परमात्मा तुम किन शास्त्रों में से पढ़कर बोल रहे हो. मैं किसी तुम्हारे शास्त्र से नहीं बोल रहा हूं. और ना मैं किसी शास्त्र की व्याख्या कर रहा हूं. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि मैंने तुम्हारे हजारों शास्त्र पढ़े. अक्षर से अक्षर…वो भी लाइन खींच-खींचकर…अगर तुम्हारे शास्त्रों से परमात्मा या खुदा का अनुभव (कैसे दिखते हैं भगवान) हो सकता तो तुम्हें तो हो गया होता.
शास्त्रों से नहीं हुआ था परमात्मा का अनुभव (कैसे दिखते हैं भगवान)
मुझे तो नहीं हुआ था. शास्त्रों से नहीं हुआ था. हां…शास्त्र छोड़कर हुआ. धर्म से नहीं हुआ था. धर्म छोड़कर हुआ था. माला-कंठी से नहीं हुआ था. बल्कि माला-कंठी तोड़कर हुआ था. और यदि तुम्हारे शास्त्रों से…वो जो कण-कण में परमात्मा है. यही तो सिद्धांत है ना हिंदू का…जर्रे-जर्रे में खुदा है. उस जर्रे-जर्रे को खुदा ही महका रहा है. यही तो सिद्धांत है ना मुसलमान का….अगर वो तुम्हें अनुभव हो गया है तो बहुत अच्छी बात है. तो तुम्हें अब कुछ नहीं सुनना चाहिए. ना तो मुझे और ना किसी शास्त्र को.
तुम्हें भी उस खुदा का दीदार हो जाएगा
मुद्दा तो वही था. उसका अनुभव हो जाए…उस विराट का…हो गया है तो मुझे भी सुनना बंद करो और कोई भी किताब मत पढ़ो. मंदिर, मस्जिद, गिरजे, गुरुद्वारे जाना बंद करो. अनुभव हो गया. यू आर ग्रेजुएट…अब कौन सी कॉलेज जाओगे. अगर नहीं अनुभव हुआ तो छोड़ो अपने-अपने शास्त्रों को और मुझे सुनो…यदि मुझे नहीं तो किसी ऐसे बुद्ध को सुनो जिसकी चेतना का विकास हो चुका हो. जिसका बुद्धत्व घट चुका हो. तुम्हारा भी घटेगा. तुम्हें भी उस खुदा का दीदार हो जाएगा. कण-कण में परमात्मा कैसे व्याप्त है उसका अनुभव तुम्हें हो जाएगा.
तुम्हारे ऊपर लगे लेप को धो रहा हूं (कैसे दिखते हैं भगवान)
तुमने मुझसे पूछा ना मैं किस शास्त्र कर व्याख्या कर रहा हूं. तो मैं किसी नये शास्त्र की व्याख्या नहीं कर रहा हूं बल्कि नये शास्त्र दे रहा हूं. मैं तुम्हें कोई लिखित चीज नहीं दे रहा हूं ताकि फिर तुम मूढ़ता करने लग जाओ और उसे लाल कपड़े में लपेटकर पूजा करने लग जाओ. मैं तुम्हारे ऊपर लेप नहीं लगा रहा हूं बल्कि तुम्हारे ऊपर लगे लेप को धो रहा हूं. ज्ञान मनुष्य के अंदर होता है. परमात्मा ने हमें अधूरा नहीं बनाया है. एक बीज में वृक्ष के डीएनए की सारी चीजें होतीं हैं. इसमें पेड़ के सारे पदार्थ मौजूद होते हैं और आगे वह अपने जैसे करोड़ों बीज तैयार करके जाता है.
यहां मैं ज्ञान की बात कर रहा हूं
वो बीज के अंदर वो क्वालिटी किसने भरी…उसी ने जिसने तुम्हें बनाया. जिसने मुझे बनाया. तो क्या जिसने बीज के अंदर ये चीजें भरी…उसने तुम्हारे अंदर वो चीजें नहीं भरी होंगी. यहां मैं ज्ञान की बात कर रहा हूं(कैसे दिखते हैं भगवान). वो ज्ञान उसने तुम्हें भरकर दिया. लेकिन गलती क्या हुई कि हमारे समाज ने एक बना बनाया ज्ञान हमारे ऊपर लाद दिया. हिंदू के घर पैदा हुए बच्चे हो हिंदू का ज्ञान लादा गया…शास्त्र लादे गये. पूजा पद्धति लादी गयी. मुसलमान के घर पैदा हुए बच्चे को मुसलमान की लादी गयी. ऐसे ही सिख, ऐसे ही ईसाई, बौद्ध जैन…365 धर्म हैं दुनिया में…3600 से ज्यादा उपधर्म हैं दुनिया में. मैं वो जो लेप हैं ना तुम्हारे ऊपर…उसे धो रहा हूं धीरे-धीरे…उनको धोते ही…तुम्हारे अंदर से शुद्ध ज्ञान स्वत: निकलेगा.
आज केवल इतना ही…शेष किसी और दिन…अंत में चारों तरफ बिखरे फैले परमात्मा को मेरा नमन…तुम सभी जागो…जागते रहो…