क्या श्रद्धा से परमात्मा की प्राप्ति होती है? हा लेकिन मंदिर पर श्रद्धा से नहीं स्वयम पर श्रद्धा से।
तुम अब तक मानते आये हो श्रद्धा से परमात्मा की प्राप्ति होती है यह उन लोगो का कहना है जो मानते है परमात्मा दूजा है उन्हें लगता है कोई चार हाथ वाला दूसरे ग्रह से आएगा लेकिन यह सिद्धांत ही बिल्कुल गलत है मैंने तुम्हे बार-बार कहा है जैसा परमात्मा चित्रो, मूर्तियों में दिखता है वह तुम्हे जीवन भर न मिलेगा और न कभी किसी को मिला । सत्य तो यह है कि श्रद्धा से परमात्मा नहीं पाया जाता क्यूंकि परमात्मा दूजा हे ही नहीं श्रद्धा ही परमात्मा है अगर तुम्हारे मन में श्रद्धा है तो तुम्हरे मन में परमात्मा का अभिवाव हुआ बस यही सत्य है ! और तुम्हारे तथाकथित महात्मा जो कहते है कि भगवान् पर श्रद्धा रखो मंदिर मूर्ति पर श्रद्धा रखो बिलकुल उलटी बात बोलते है। श्रद्धा तुम्हे मंदिर मूर्ति पर नहीं रखनी श्रद्धा तुम्हे स्वयं पर रखनी है कि एक दिन तुम स्वयं उसे खोज लोगे कि एक दिन तुम उसे स्वयं में ही पा लोगे। बस इतना ही तात्पर्य है श्रद्धा से। इसलिए मैं कहता हूँ अभी भी समय है जागो! आंख खोलो देखो तुम कहा भागे जा रहे हो! देखो धर्म के नाम पर तुम क्या क्या पाखण्ड कर रहे हो।
ध्यान करो! जागो! जागते रहो!